आपके लिए कुछ और जवाब
पीरियड का दर्द (डिसमेनोरिया) दो वजहों से हो सकता है।
बायोलॉजिकल वजह (प्राइमरी डिसमेनोरिया)
यह सबसे आम वजह है, जो भारत में 60-90% टीनएज लड़कियों और महिलाओं को होता है। यह वो दर्द है जिसे अक्सर “सबको होता है” कहकर टाल दिया जाता है।
इसमें, शरीर ज़रूरत से ज़्यादा प्रोस्टाग्लैंडिन्स बनाती है। यह हार्मोन जैसे केमिकल्स यूट्रस (गर्भाशय) को कॉन्ट्रैक्ट करवाते हैं, जिससे दर्द होता है।
मेडिकल वजह (सेकेंडरी डिसमेनोरिया)
यह दर्द तब होता है जब कोई महिला किसी हेल्थ कंडीशन, जैसे एंडोमेट्रियोसिस, एडेनोमायोसिस, पी.सी.ओ.एस,या यूटरीन फाइब्रॉएड्स से परेशान हो।
इस तरह के दर्द को सामान्य मानना ठीक नहीं, क्योंकि ऐसा करने से सही डायग्नोसिस में देरी हो सकती है। एक सर्वे में पाया गया कि भारत में एंडोमेट्रियोसिस को डायग्नोस होने में औसतन 10 साल तक लग जाते हैं, क्योंकि दर्द को गंभीरता से नहीं लिया जाता। इस देरी से आगे चलकर लॉन्ग-टर्म हेल्थ प्रॉब्लम्स हो सकती हैं।
आपकी #स्टॉप-द-पीरियडपेन की यात्रा यहाँ से शुरू होती है
हर महीने, करोड़ों भारतीय लड़कियाँ और महिलाएँ चुपचाप पीरियड का दर्द सहती हैं क्योंकि उन्हें बताया जाता है कि उनका तीव्र स्तर पर पीरियड दर्द (डिसमेनोरिया) सामान्य है। हमारा उद्देश्य इस चुप्पी को तोड़ना है। #स्टॉप-द-पीरियडपेन अभियान आपको 3 सरल सच्चाइयों से सशक्त (एम्पोवेर) बना रहा है।
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जानना चाहते हो कि आपका पीरियड दर्द वाकई कितना ज़्यादा है? बस कुछ ही क्लिक में पता करें कि आपका दर्द सामान्य है या खतरे की बड़ी घंटी।
